जापान में ज्यादा भूकंप क्यों आते हैं
जापान में भूकंप आने का प्रमुख कारण
जापान में भूकंप आने का प्रमुख कारण यह है कि यह देश पेसिफिक रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में स्थित है। यह क्षेत्र दुनिया के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में पृथ्वी की कई टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के संपर्क में हैं और लगातार गतिमान हैं। जब ये प्लेटें एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं या टकराती हैं, तो उनके बीच ऊर्जा का निर्माण होता है, जो भूकंप के रूप में मुक्त होती है।
जापान में भूकंप आने का एक अन्य कारण यह है कि यह देश अलास्का प्लेट, फिलिपींस प्लेट और प्रशांत प्लेट के बीच स्थित है। ये सभी प्लेटें एक-दूसरे के संपर्क में हैं और लगातार गतिमान हैं। इन प्लेटों की गति के कारण जापान में भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है।
जापान में आने वाले भूकंपों की तीव्रता भी अलग-अलग होती है। कुछ भूकंप बहुत ही कमजोर होते हैं, जबकि कुछ बहुत ही शक्तिशाली होते हैं। जापान में आने वाले कुछ शक्तिशाली भूकंपों में 1923 का महाभूकंप, 1995 का कोबे भूकंप और 2011 का तोहोकू भूकंप शामिल हैं।
जापान में भूकंप आने के कारण देश को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। भूकंप से लोगों की जान, घर-बार और संपत्ति का नुकसान होता है। जापान सरकार भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कई उपाय कर रही है। इन उपायों में भूकंप प्रतिरोधी इमारतों का निर्माण, भूकंप चेतावनी प्रणाली और नागरिक सुरक्षा कार्यक्रम शामिल हैं।
जापान में भूकंप आने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- जापान का स्थान पेसिफिक रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में है।
- जापान में कई टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के संपर्क में हैं।
- जापान में अलास्का प्लेट, फिलीपीन प्लेट और प्रशांत प्लेट की गति के कारण भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है।
टेक्टोनिक प्लेट पृथ्वी की भूपर्पटी और ऊपरी मेंटल की एक बड़ी टुकड़ी होती है। ये प्लेटें ठोस चट्टान से बनी होती हैं और वे पृथ्वी के आंतरिक भाग में मौजूद ऊष्मा और संवहन धाराओं के कारण लगातार गतिमान रहती हैं।
टेक्टोनिक प्लेटों की गति पृथ्वी की सतह पर कई भूवैज्ञानिक घटनाओं के लिए जिम्मेदार है, जिनमें शामिल हैं:
- महाद्वीपों और महासागरों का निर्माण और विनाश
- पर्वतों का निर्माण
- ज्वालामुखियों का उद्गार
- भूकंप
टेक्टोनिक प्लेटों को उनकी गति के आधार पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
अपसारी प्लेटें: ये प्लेटें एक-दूसरे से दूर जा रही होती हैं। इन प्लेटों के बीच में मैग्मा ऊपर उठता है और नया भूपर्पटी का निर्माण करता है।
संपीडन प्लेटें: ये प्लेटें एक-दूसरे की ओर जा रही होती हैं। इन प्लेटों के बीच में टक्कर होती है और भूपर्पटी का विनाश होता है।
संरक्षी प्लेटें: ये प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर गति कर रही होती हैं। इन प्लेटों के बीच में कोई नया भूपर्पटी का निर्माण या विनाश नहीं होता है।
पृथ्वी की सतह पर कुल सात प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटें हैं। इन प्लेटों के नाम निम्नलिखित हैं:
- अफ्रीकी प्लेट
- अमेरिकी प्लेट
- अंटार्कटिका प्लेट
- ऑस्ट्रेलियाई प्लेट
- यूरेशियन प्लेट
- प्रशांत प्लेट
इन प्लेटों के अलावा, पृथ्वी की सतह पर कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेटें भी मौजूद हैं।
पेसिफिक रिंग ऑफ फायर क्या है?
पेसिफिक रिंग ऑफ फायर प्रशांत महासागर के किनारे स्थित एक क्षेत्र है जो दुनिया में भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि के उच्चतम स्तरों का घर है। यह एक घोड़े की नाल के आकार में लगभग 40,000 किलोमीटर (25,000 मील) में फैला है।
पेसिफिक रिंग ऑफ फायर का निर्माण टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण होता है। जब दो प्लेटें एक-दूसरे से टकराते हैं, तो एक प्लेट दूसरे के नीचे चला जाता है। इस प्रक्रिया को सबडक्शन कहा जाता है। सबडक्शन के दौरान, प्लेटों के बीच घर्षण होता है, जिससे भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट हो सकते हैं।
पेसिफिक रिंग ऑफ फायर में दुनिया के 75% से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं। इनमें से कई ज्वालामुखी बहुत ही शक्तिशाली होते हैं, और उनके विस्फोट के कारण भारी तबाही हो सकती है।
पेसिफिक रिंग ऑफ फायर में दुनिया के 90% से अधिक भूकंप भी पाए जाते हैं। इनमें से कई भूकंप बहुत ही शक्तिशाली होते हैं, और उनके कारण बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हो सकता है।
पेसिफिक रिंग ऑफ फायर दुनिया के कई सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों से होकर गुजरता है। इस क्षेत्र में जापान, चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। इन क्षेत्रों में भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि के कारण होने वाली आपदाओं से बचाव के लिए सरकारें कई उपाय कर रही हैं।
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